क्या कहता है ज्योतिष
ज्योतिष शास्त्र है इसके बारे में ऋग्वेद के पांचवें अध्याय में वर्णन किया गया है|
ज्योतिष से ग्रह नक्षत्रों की गति स्थिति आदि का विचार किया जाता है|
ज्योतिष से कर्मों का लेखा जोखा पढ़ा जाता है ज्योतिष का मतलब होता है होने वाला घटनाओं का ज्ञान कराना
यह 2 शब्दों से बना है ज्योति प्लस ईस , ज्योति का मतलब मतलब होता है प्रकाश और ईस का मतलब होता है ईश्वर (Light Of God)
अब इसे इस प्रकार समझते हैं
जब कोई बच्चा जन्म लेता है तब ब्रह्मांड में हरेक ग्रह के कुछ न कुछ स्थिति होते हैं
इसी सौर मंडल के ग्रह की स्थिति कुछ ज्योतिष सूत्रों के माध्यम से हम पेपर पर अंकित करते हैं जिसे जन्मकुंडली कहा जाता है और उसी के माध्यम से किसी भी जातक का भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में बताया जाता है
जिनकी कुंडली नहीं होती है वह भी ज्योतिष से लाभ उठा सकते हैं
हम सभी के अंदर हर एक ग्रह का कुछ ना कुछ स्वभाव पाया जाता है और उस ग्रह के स्वभाव को अच्छे तरीके से पहचाना जा सकता है
अब बात करते हैं सूर्य की सूर्य अनुशासन को प्रतिनिधित्व करता है अगर हम अपने बात पर कायम नहीं रहते हमारे जीवन में कोई अनुशासन नहीं है इसका मतलब है कि हमारे कुंडली में सूर्य खराब है
चंद्रमा- अगर हमें नकारात्मक विचार आ रही है, मन विचलित रहता है इसका मतलब है चंद्रमा खराब है
गुरु- अगर हमें झूठ बोलने की आदत है इसका मतलब है कि हमारा गुरु ख़राब है अब इसे अच्छा भी किया जा सकता है अगर हम चार अच्छे लोगों के साथ उठना बैठना चालू कर दें तो हमारा गुरु अच्छा होने लगेगा अपने शिक्षक का पैर छूकर आशीर्वाद ले तो हमारा गुरु अच्छा होने लगेगा झूठ बोलना छोड़ दे सच्ची राह पर चलना शुरू कर दें तो गुरु अच्छा हो जाएगा
राहु हमारे सोच को प्रतिनिधित्व करता है अगर हमारी सोच नकारात्मक है इसका मतलब राहु खराब है
जिनकी कुंडली नहीं भी है वह इन तरीके से ज्योतिष का लाभ उठा सकते हैं और इसे सुधारा जा सकता है|
इसे ऐसे भी बोला जा सकता है हमारे ग्रहों के जो भी प्रभाव है उसका फल हमारे ऊपर पड़ रहा है उसने ऊर्जा को अच्छे तरीके से चैनेलाइज करना ही ज्योतिष है