जन्म कुंडली में बनने वाले पंच महापुरुष योग नाम से ही समझ में आ जाता है कि एक छोटा-मोटा योग नहीं है
जैसे बिना कोई वर्णमाला जाने हम लोग कोई भाषा नहीं सीख सकते हैं उसी प्रकार ज्योतिष में 9 ग्रह और 12 भाव जाने ज्योतिष नहीं सीख सकते
कौन से ग्रह किस से मित्रता रखते हैं और किनसे शत्रुता रखते हैं
ज्योतिष शास्त्र है इसके बारे में ऋग्वेद के पांचवें अध्याय में वर्णन किया गया है